जन्म कुंडली के बाकी सात ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हो जाते हैं तो उस स्थिति को "कालसर्पयोग" कहते हैं
मंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है,
पितृदोष और कालसर्पदोष का सबसे प्राचीन स्थान सिद्धवट घाट है यहीं पर पितरों को मुक्ति प्रदान होती है ..
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धार्मिक अनुष्ठानो में रूचि ज्योतिषी पं. सत्यम देवलिया जी को बाल्यकाल से ही थी | पंडित जी ने शिक्षा ग्रहण गुरुकुल एवं ब्रह्म गायत्री मंदिर से की , आचार्य जी को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगात्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान कि जानकारी है आचार्य जी वैदिक अनुष्ठानो में एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण कार्य को करते हुए 18+ वर्ष से भी ज्यादा हो गया है ज्योतिषी पं. सत्यम देवलिया जी प्राचीन समय से उज्जैन में किए गए सभी प्रकार के हिंदू आध्यात्मिक अभ्यासों और पूजाओं में रहे हैं। वर्तमान में पंडित जी उज्जैन नगरी में सर्वश्रेष्ठ विद्वानोँ की श्रेणी में आते है | वर्तमान में आचार्य जी द्वारा पूरी उज्जैन नगरी में कालसर्प पूजा एवं मंगल भात पूजा विशेष वैदिक पद्धति द्वारा पूजन सम्पन्न किया है इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप,दुर्गा सप्तसती पाठ भी करते है !
Read More +91-7691916254Anushthan & Nivaran
कालसर्प दोष
मंगल दोष पूजा
पितृ दोष
महामृत्युंजय जाप
रुद्राभिषेक पूजा
वास्तु दोष
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